जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बिहार में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। विधानसभा चुनाव से ठीक 7 महीने पहले नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है। सत्ता के इस खेल में भाजपा ने बाजी मारते हुए मंत्रिमंडल पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। बुधवार को 7 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिनमें से सभी भाजपा के विधायक हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें 4 मंत्री मिथिलांचल से हैं, जो इस क्षेत्र की राजनीतिक अहमियत को दर्शाता है।
मिथिलांचल बना सत्ता की धुरी!
एनडीए सरकार की रणनीति साफ है—मिथिलांचल को मजबूत करना। बिहार की 243 सीटों में से 40 सीटें सिर्फ इस इलाके में NDA के खाते में आई थीं। यही कारण है कि अब तक मंत्रिमंडल में 6 मंत्री सिर्फ इसी क्षेत्र से हैं। यह फैसला सीधे तौर पर आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। क्या बीजेपी और नीतीश कुमार इस दांव से मिथिलांचल को और मजबूत करेंगे या फिर कोई नया सियासी मोड़ देखने को मिलेगा?
बिहार में भाजपा का पलड़ा भारी!
नीतीश सरकार में अब कुल 36 मंत्री हो गए हैं, जिनमें 21 भाजपा के, 13 जेडीयू के, एक हम पार्टी से और एक निर्दलीय मंत्री हैं। साफ है कि सत्ता में भाजपा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, और जेडीयू बैकफुट पर नजर आ रही है। लेकिन बड़ी खबर यह है की इस विस्तार के महज कुछ घंटे पहले भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद यह अटकलें तेज हो गईं कि पार्टी के भीतर भी असंतोष पनप रहा है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार का यह कैबिनेट विस्तार उनके लिए कितना फायदेमंद साबित होगा। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष इस मौके को भुनाने के लिए तैयार बैठा है। बिहार की राजनीति में अब हर दिन नई हलचल देखने को मिलेगी। सत्ता के इस खेल में कौन बाजी मारेगा और कौन सियासत की इस बिसात पर मात खाएगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।