अब स्कूलों में नहीं चलेगा डर का राज: मध्य प्रदेश में स्कूलों में पिटाई पर पूरी तरह बैन, शिक्षकों पर होगी कड़ी कार्रवाई; MP सरकार ने जारी किया सख्त आदेश

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश में अब कोई भी शिक्षक या स्कूल स्टाफ छात्र-छात्राओं को शारीरिक या मानसिक दंड नहीं दे पाएगा। जी हाँ राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों में किसी भी तरह की मारपीट, शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना को अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। अगर कोई शिक्षक या स्कूल कर्मचारी छात्र के साथ दुर्व्यवहार करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई होगी और कड़ी सजा भी मिल सकती है

वहीं, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सख्त हिदायत के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई की जाए और रिपोर्ट सरकार को भेजी जाए।

बता दें, दो महीने पहले भोपाल के सेंट माइकल स्कूल में 11वीं के छात्र को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसके पैरों की चमड़ी तक निकल गई। छात्र के मुताबिक, टीचर ने फुटबॉल के शूट की तरह उसके पैरों पर कई बार मारा। दर्द से कराहते छात्र ने जब घर जाकर अपनी हालत बताई, तो परिजनों ने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की। इसके बाद जांच समिति बनाई गई, लेकिन यह मामला सरकार की नजर में आने के बाद ही ऐसे कड़े कदम उठाए गए। वहीं, रीवा के एक स्कूल में हुई बर्बरता ने सभी को झकझोर कर रख दिया। एक 5 साल के मासूम बच्चे ने क्लास में टॉयलेट कर दिया। इसके बाद, क्लास में मौजूद टीचर और आया ने उसे बुरी तरह डांटा और जबरदस्ती टॉयलेट साफ करवाया। यही नहीं, उसकी पैंट उतरवाकर उसे चार घंटे तक ठंड में खड़ा रखा गया। कांपता और सुबकता बच्चा जब घर पहुंचा, तब यह दर्दनाक सच्चाई सामने आई। जब पैरेंट्स ने शिकायत की, तो स्कूल प्रबंधन ने धमकी दी—‘आपको अपना बच्चा पढ़ाना है या नहीं?’ बच्चों पर लगातार हो रहे इन आत्याचारों क बाद ही सरकार ने यह सख्त कदम उठाए है ।

शिक्षा विभाग ने मंगलवार को सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि कॉर्पोरल पनिशमेंट (शारीरिक दंड) पूरी तरह से गैरकानूनी हैइस आदेश के तहत,

  • मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 17 (1) के तहत शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना को प्रतिबंधित किया गया है।
  • धारा 17 (2) के अनुसार ऐसा करने वाले शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई होगी और यह दंडनीय अपराध माना जाएगा।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत छात्रों को शारीरिक दंड देना अपराध है और इसके लिए दोषी व्यक्ति को सजा भी हो सकती है।

अब सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि अगर किसी स्कूल में किसी भी छात्र को शारीरिक सजा दी जाती है तो तत्काल कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए

वहीं, मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) के अपर संचालक रवींद्र कुमार सिंह ने मंगलवार को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी स्कूल छात्र-छात्राओं के साथ हिंसा, भेदभाव या मानसिक प्रताड़ना नहीं कर सकता। साथ ही बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र का हवाला देते हुए स्कूलों से इस संबंध में तत्काल रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने साफ़ आदेश दिया है की अगर किसी स्कूल में इस तरह की घटना होती है, तो जिम्मेदार शिक्षकों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्यूंकि अब कोई भी शिक्षक या स्टाफ छात्र को हाथ तक नहीं लगा सकेगा और स्कूलों में अनुशासन के नाम पर हिंसा और प्रताड़ना पूरी तरह खत्म होगी। जिससे बच्चों को भयमुक्त माहौल में पढ़ाई का अवसर मिलेगा

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