जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। जबलपुर जिला प्रशासन की जांच में ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो सरकारी खरीद प्रक्रिया की पोल खोलते हैं। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक समेत 74 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें सरकारी अधिकारी, राइस मिल संचालक और उपार्जन केंद्र के कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने सरकारी खरीद में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये का खेल किया।
कैसे हुआ घोटाला?
दरअसल, पाटन से बीजेपी विधायक अजय बिश्नोई ने जबलपुर जिला प्रशासन से धान खरीदी में गड़बड़ियों की शिकायत की थी। जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक कई परतें खुलती गईं। अधिकारियों को पता चला कि राइस मिलर्स ने समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को अपनी मिलों तक पहुंचाने के बजाय दलालों के माध्यम से यहां-वहां बेच दिया।
इतना ही नहीं, जिन ट्रकों से धान का परिवहन दिखाया गया, वे टोल नाकों से गुजरे ही नहीं! जांच में यह भी सामने आया कि 1 लाख 31 हजार क्विंटल धान फर्जी वाहनों से ढोई गई। रिकॉर्ड के अनुसार, कुल 614 ट्रिप में धान भेजी जानी थी, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और टोल पर्चियों से पता चला कि केवल 15 ट्रक ही वहां से गुजरे। यानी, बाकी सब सिर्फ कागजों में था, हकीकत में धान गायब थी।
ऐसे की गई करोड़ों की हेराफेरी
➡ फर्जी नंबरों वाले ट्रकों से धान परिवहन: टोल प्लाजा की लिस्टिंग से खुलासा हुआ कि जिन ट्रकों के नंबर दर्ज किए गए, वे हकीकत में वहां से गुजरे ही नहीं। धान को कहीं और भेजकर सरकारी दस्तावेजों में धान मिलर्स के पास पहुंचने का झूठा रिकॉर्ड बनाया गया।
➡ बाहरी मिलर्स से मिलीभगत: 17 बाहरी मिलर्स ने प्रशासन के साथ एग्रीमेंट किया था, लेकिन उन्होंने धान का उठाव नहीं किया। इसके बजाय, दलालों के जरिए धान को काले बाजार में बेचा गया।
➡ सरकारी खरीद केंद्रों की भूमिका: समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को वेयरहाउस तक पहुंचाने के बजाय, सोसाइटी प्रबंधकों और खरीदी केंद्र के कर्मचारियों ने सीधे दलालों को सौंप दिया।
➡ बैंक खातों में लेनदेन की पड़ताल: अब प्रशासन घोटाले में शामिल लोगों के बैंक खातों की जांच कर रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि पैसों की हेराफेरी कैसे हुई।
पहले भी हो चुका है बड़ा घोटाला
इससे पहले जबलपुर में ही 3 लाख 81 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं। उस मामले में 22 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। अब इस नए घोटाले ने सरकार की नीतियों और निगरानी तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कार्रवाई शुरू, मगर क्या सभी दोषी पकड़ में आएंगे?
जबलपुर जिला प्रशासन ने नागरिक आपूर्ति निगम के 13 कर्मचारियों, 17 राइस मिलर्स और 44 सोसाइटी व उपार्जन केंद्र के कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस घोटाले के असली मास्टरमाइंड पकड़े जाएंगे, या फिर कार्रवाई सिर्फ छोटे कर्मचारियों तक ही सीमित रह जाएगी?
सरकार की ओर से जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन इस घोटाले के पीछे की असली साजिश को उजागर करने के लिए अब निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।