Jhajjar: Pandit Jawaharlal Nehru और भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री Rajkumari Amrit Kaur ने नेशनल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस की स्थापना की और इस सप्ताह का पालन वर्ष 1960 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य अंधेपन के कारणों और रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। हर साल 1 से 7 अप्रैल तक देश भर में अवलोकन सप्ताह मनाया जाता है, इसका उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों का समर्थन करना है।
आज से शुरू होने वाले सप्ताह के मौके पर संसद के पन्ने पलटें तो बात 25 फरवरी 1981 की है. उस वक्त लोकसभा में Rohtak से सांसद स्वामी इंद्रवेश ने Delhi में अंधों पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया था. 55 दिन पहले 1 जनवरी को सदन में. जब शासन स्तर पर जवाब देने की बारी आई तो इस बात से पूरी तरह इनकार कर दिया गया कि घटना हुई ही नहीं है.
पूछा- इस साल कितने दिव्यांग बनेंगे?
ऐसे में स्वामी इंद्रवेश ने तंज कसते हुए कहा, ”इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय विकलांग वर्ष (दिव्यांग) के रूप में मनाया जा रहा है, क्या उन्होंने पूरे देश में विकलांगों की संख्या बढ़ाने का कोई लक्ष्य रखा है, जिसके आधार पर सभी देश में लोगों को पीट-पीट कर विकलांग बनाया जा रहा है.भागलपुर में भी ऐसा किया गया है.अन्य जगहों पर भी लोगों के हाथ-पैर तोड़े जा रहे हैं.मंत्री महोदय, क्या आप कुछ आंकड़े देंगे कि वह कितने विकलांग बनायेंगे इस साल? जिस पर गृह राज्य मंत्री ने फिर कहा कि ये सवाल सही नहीं है. सवाल गलत है.
नए साल का तोहफा लाठीचार्ज
बढ़ते मामले में राम बिलास पासवान ने केंद्रीय मंत्री के जवाब को सदन को गुमराह करने वाला बताया. साथ ही कहा, एक तरफ सरकार कहती है कि वह दिव्यांगों के लिए ऐसा करेगी और दूसरी तरफ नये साल के मौके पर तोहफे के तौर पर उन पर लाठियां बरसायी जाती है.
यहां मंत्री ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उन लोगों को जिमखाना तक आने की इजाजत दी गई, इसके बाद पुलिस ने 3-4 लोगों को ज्ञापन देने के लिए जाने को कहा. लेकिन उन्होंने ज्ञापन नहीं दिये जाने की बात कहते हुए सभी को आगे बढ़ने की बात दोहरायी. जिस पर उसे हिरासत में ले लिया गया। बाद में तिलक मार्ग थाने में जाकर बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचाया गया.
इंद्रवेश ने उठाया मुद्दा…विदेशी एजेंसी का जिक्र
दरअसल, स्वामी इंद्रवेश द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को सदन में अन्य सांसदों का भी समर्थन मिला, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पिछले साल मार्च महीने में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे नेत्रहीन लोगों पर लाठीचार्ज किया गया और उन्हें पीटा गया.
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इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो बात मीडिया रिपोर्ट में छपी थी, उसका बाद में पुलिस कमिश्नर ने खंडन किया और वह भी अखबारों में छपा. लेकिन, एक ऐसी एजेंसी है जो हमेशा हमें बदनाम करती है. जब भी कोई घटना होती है तो वह उसका जिक्र करती हैं, उन्होंने अपने बुलेटिन में यह भी कहा कि कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ.
इससे पहले सांसद ने कहा, क्या सरकार यह आश्वासन दे सकती है कि ऐसे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस द्वारा की गई क्रूर कार्रवाई के कारण भविष्य में ऐसा कोई रवैया नहीं अपनाया जाएगा? क्या आप पुलिस को ऐसा कोई निर्देश देने जा रहे हैं?