पन्ना की ‘दादी’ हथिनी वत्सला नहीं रहीं, 100 वर्षीय ‘वत्सला’ का हुआ सम्मानजनक अंतिम संस्कार; मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी दी श्रद्धांजलि!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से एक बेहद भावुक करने वाली खबर सामने आई है। मंगलवार दोपहर करीब 1:30 बजे पीटीआर की सबसे बुजुर्ग और सबसे प्रिय हथिनी वत्सला ने अंतिम सांस ली। उम्र के शतक को पार कर चुकी यह हथिनी न केवल जंगल की मूक संरक्षक थी, बल्कि हाथियों के कुनबे की ‘दादी’ के नाम से जानी जाती थी। अपने सौम्य स्वभाव, ममतामयी प्रवृत्ति और सेवा भावना के कारण वत्सला न सिर्फ वन अधिकारियों की, बल्कि पूरे रिजर्व की आत्मा बन गई थी।

वत्सला पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी और उसका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। जैसे ही उसके निधन की खबर सामने आई, पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की, डिप्टी डायरेक्टर मोहित सूद, और वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ. संजीव गुप्ता सहित पूरी टीम हिनौता कैंप पहुंची, जहां पर उसका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया।

वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर वन में हुआ था। 1971 में वह मध्यप्रदेश लाई गई और होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) में रही। 1993 में उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया, जहां उसने बाघों की ट्रैकिंग में 10 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं। 2003 में उसे औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी वह पूरी लगन से बाकी हथिनियों के बच्चों की देखरेख करती रही।

वह सिर्फ एक सहयोगी हाथी नहीं थी, बल्कि जंगल में प्राकृतिक मातृत्व और देखभाल की मूर्तिमान मिसाल थी। जब भी कोई हथिनी मां बनती, वत्सला ही दाई बनकर उस नवजात की रक्षा और देखभाल करती थी। वह एक आदर्श “नानी-दादी” की भूमिका में हमेशा तत्पर रहती थी, जिसने तीन पीढ़ियों के हाथियों की परवरिश देखी

गिनीज बुक में नाम न होने का अफसोस

वत्सला की उम्र को लेकर यह व्यापक रूप से माना जाता था कि वह दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी हो सकती है। हालांकि, उसके जन्म का आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज नहीं हो सका। पीटीआर प्रबंधन ने उसके दांतों के नमूने लैब में भेजे थे ताकि उसकी उम्र की पुष्टि हो सके, लेकिन वहां से भी कोई निश्चित परिणाम नहीं मिला। वर्तमान में ताइवान की हथिनी “लिंगवान” को दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी माना जाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की श्रद्धांजलि

वत्सला के निधन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गहरा शोक व्यक्त किया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा—

“वत्सला का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्यप्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थी। उसने टाइगर रिजर्व में अनुभवों का सागर और स्नेह का विस्तार छोड़ा है।”

मुख्यमंत्री की यह श्रद्धांजलि इस बात का प्रमाण है कि वत्सला केवल वन विभाग की एक हथिनी नहीं थी, बल्कि एक संवेदनशील और जीवंत संबंध थी, जिसने प्रदेश के वन्य जीवन में एक मौन किंतु महत्वपूर्ण अध्याय लिखा है।

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