मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सियासी तनाव: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में अहम बैठक आज, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने जताई आपत्ति!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर आज शाम मुख्यमंत्री निवास में अहम बैठक होनी है। इस बैठक को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने नियुक्तियों को लेकर सख्त आपत्ति जताई है और सवाल खड़े किए हैं कि क्या इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और कानून का पालन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में यह बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें शामिल सदस्य इस प्रकार हैं:

  • मुख्यमंत्री — अध्यक्ष

  • विधानसभा अध्यक्ष — सदस्य

  • गृह विभाग के प्रभारी मंत्री — सदस्य

  • नेता प्रतिपक्ष — सदस्य

नेता प्रतिपक्ष का आरोप: प्रक्रिया में गड़बड़ी

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बैठक से पहले कहा कि मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। उनका आरोप है कि नियुक्तियों के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी गई है और आवेदन आम जनता के बजाय चुनिंदा लोगों को ही बुलाए गए हैं।

सिंघार ने कहा कि आयोग के एक्ट में स्पष्ट लिखा है कि कार्यकाल पूरा होने के तीन महीने के भीतर नियुक्तियां करनी होंगी, लेकिन पिछले 2–3 साल से रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं। इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि जिन लोगों का नॉमिनेशन किया जा रहा है उनकी योग्यता क्या है।

विवाद का केंद्र: न्यायिक सदस्य का पद और उसका नाम बदलना

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि मानव अधिकार आयोग में न्यायिक सदस्य के पद का नाम बदलकर प्रशासकीय सदस्य किया गया है, ताकि एक विशेष व्यक्ति को इस पद के लिए लाभान्वित किया जा सके। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से अनुचित है और इसका उद्देश्य केवल कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाना है।

अध्यक्ष पद को लेकर सवाल

सिंघार ने यह सवाल भी उठाया कि आयोग में एक ही व्यक्ति को बार-बार अध्यक्ष का प्रभार क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकार आयोग के एक्ट का उल्लंघन है और इस प्रकार की चयन प्रक्रिया पारदर्शिता के खिलाफ है। उनका मानना है कि मानव अधिकार आयोग “न्याय का मंदिर” है और इसकी नियुक्तियों में पूर्ण निष्पक्षता और न्याय होना चाहिए।

कौन हैं उम्मीदवार?

मानव अधिकार आयोग में न्यायिक सदस्य पद के लिए कई नाम सामने आए हैं:

  • मनोहर ममतानी — पूर्व सदस्य, मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग।

  • रमेश कुमार सोनी — सेवानिवृत्त प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश, इंदौर। वर्तमान में मेघालय राज्य विद्युत नियामक आयोग में विधि सदस्य के रूप में कार्यरत।

  • शोभा पोरवाल — सेवानिवृत्त प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश, इंदौर। वर्तमान में स्थायी लोक अदालत, आगरा (यूपी) की अध्यक्ष।

साथ ही, विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी. सिंह ने भी प्रशासनिक सदस्य के पद के लिए आवेदन किया है। इस पद पर पूर्व में राजीव टंडन कार्यरत थे जिनका कार्यकाल हाल ही में 26 सितंबर को समाप्त हुआ।

मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवाल राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तर पर महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में यह तय होगा कि इस विवादित प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का जोर है कि यह नियुक्तियां पारदर्शी और संवैधानिक रूप से होनी चाहिए, ताकि आयोग अपने मूल उद्देश्य — मानव अधिकारों की रक्षा — को सही तरीके से पूरा कर सके।

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