जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश कांग्रेस इन दिनों सियासी उठापटक और आंतरिक कलह के भंवर में फंसी नजर आ रही है। चुनावी हार की मार झेल रही कांग्रेस में अब संगठनात्मक अस्थिरता ने हलचल मचा दी है। तीन साल में चार-चार प्रदेश प्रभारी बदले जा चुके हैं, और ताजा घटनाक्रम में भंवर जितेंद्र सिंह को हटाकर हरीश चौधरी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन इससे कांग्रेस में गुटबाजी और अंदरूनी मतभेद खत्म होंगे या और गहराएंगे, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
जैसे ही नए प्रभारी की नियुक्ति हुई, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उनसे दिल्ली में अलग-अलग मुलाकात की, जिससे अंदरखाने गुटबाजी की चर्चाओं को और हवा मिल गई। बीजेपी ने इसे कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरी करार देते हुए इसे ‘गुटबाजी का कैंसर’ बता दिया।
कल पहली बार भोपाल आएंगे नए प्रभारी
वहीं, अब जब हरीश चौधरी पहली बार भोपाल पहुंचने वाले हैं, तो कांग्रेस खेमे में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वे कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें करेंगे, लेकिन असली चुनौती यह होगी कि क्या वे कांग्रेस की बिगड़ती सियासी जमीन को संभाल पाएंगे? या फिर यह बदलाव महज संगठनात्मक औपचारिकता बनकर रह जाएगा? उधर, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी की प्रियंका गांधी से मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। पटवारी ने मप्र में संगठन की स्थिति और आगामी कार्यक्रमों, संगठन विस्तार और सुदृढ़ीकरण को लेकर जानकारी दी।