NEET UG में बिजली गुल विवाद: 47 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, अब भविष्य दांव पर!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

NEET UG परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने से प्रभावित हुए छात्रों की उम्मीदें अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन के करीब 75 छात्रों में से 47 छात्र बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुँचे। उनके वकील मृदुल भटनागर ने बुधवार को तड़के सुबह 4 बजे ही ऑनलाइन याचिका दाखिल कर दी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से इस मामले की अर्जेंट सुनवाई की मांग भी की, लेकिन रजिस्ट्रार ने अगली सुनवाई अगले सप्ताह तय कर दी। इससे छात्रों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली — एक ओर निराशा, तो दूसरी ओर उम्मीद की एक किरण कि अब देश की सर्वोच्च अदालत उन्हें न्याय दिलाएगी।

मामले की पृष्ठभूमि में देखा जाए तो यह पूरा विवाद 4 मई को NEET UG परीक्षा के दौरान बिजली गुल हो जाने से शुरू हुआ था। इंदौर व उज्जैन के कई सेंटरों पर बिजली चली जाने के कारण न तो उचित लाइट की व्यवस्था हो पाई और न ही परीक्षार्थी पेपर सही से हल कर पाए। कई स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि पावर बैकअप की बात तो की गई, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और थी। इसी आधार पर 75 से ज्यादा छात्रों ने इंदौर हाईकोर्ट में पुनः परीक्षा की याचिका दायर की थी।

हालांकि सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की रिट अपीलें स्वीकार की जाती हैं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि NTA इस पूरे मामले को छात्रों के खिलाफ नहीं ले रही, बल्कि उनके हित में ही एक विशेषज्ञ समिति गठित कर मामले की जांच कर चुकी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दोबारा परीक्षा की जरूरत से साफ इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में यह मामला NEET UG 2025 की पुनः परीक्षा के लिए उपयुक्त नहीं है।

NTA की तरफ से भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि देशभर में इस परीक्षा में 22 लाख से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया था और सभी सेंटरों पर माकूल व्यवस्थाएँ की गई थीं। जिन सेंटरों पर बिजली जाने की बात की जा रही है, वहां भी पावर बैकअप मौजूद था। लेकिन छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि NTA ने फीस के नाम पर करीब 350 करोड़ रुपए वसूले हैं, फिर भी कई सेंटरों पर पावर बैकअप की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि NTA ने न तो मौके पर जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन किया और न ही ऐसी स्थिति में उचित मुआवजा या विकल्प दिया।

हाईकोर्ट में लंबी बहस चली, जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा और अंततः याचिकाएं खारिज कर दी। इसके बाद NTA ने उसी दिन ईमेल पर सभी 75 छात्रों के रिजल्ट भी भेज दिए। इस फैसले के खिलाफ अब छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एडवोकेट भटनागर ने कहा कि “यदि सुप्रीम कोर्ट इस पर नियमित सुनवाई करता है, तो याचिकाकर्ता छात्रों की अलग से काउंसलिंग भी कराई जाएगी।”

हालांकि अभी बाकी करीब 28 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं किया है। इसके भी अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं, जिसमें कई छात्र व्यक्तिगत परिस्थितियों, आर्थिक वजहों या फिर पुनः परीक्षा की लंबी प्रक्रिया के चलते इसमें शामिल नहीं हो सके।

अब सभी की नजर सुप्रीम कोर्ट पर है। छात्र, उनके परिजन और वकील उम्मीद कर रहे हैं कि सर्वोच्च अदालत उनके भविष्य के साथ न्याय करेगी। देशभर में NEET की तैयारी कर रहे लाखों छात्र भी इस केस पर नजरें गड़ाए हुए हैं, क्योंकि यह फैसला भविष्य में ऐसे किसी अन्य विवाद की नजीर भी बन सकता है।

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