साल 2025 के अंत में भारत आ सकते हैं पुतिन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दी जानकारी; आखिरी बार साल 2021 में भारत आए थे पुतिन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साल 2025 के अंत तक भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। यह जानकारी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपनी मॉस्को यात्रा के दौरान रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से मुलाकात में दी। डोभाल ने कहा कि भारत और रूस के बीच इस समय मजबूत रणनीतिक साझेदारी है, जो वैश्विक चुनौतियों के बीच और अधिक प्रासंगिक हो गई है। यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार का हिस्सा नहीं बल्कि भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने की संभावना से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।

डोभाल की यह मॉस्को यात्रा विशेष रूप से इसलिए भी अहम है क्योंकि यह उनके द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा है। ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस की स्थिति कई देशों में विवाद का विषय बनी हुई है, भारत और रूस के बीच जारी उच्च स्तरीय संवाद कई स्तरों पर संदेश देता है।

इस यात्रा की संवेदनशीलता को और बढ़ाता है अमेरिका का वह रुख, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर तीखी टिप्पणियां की थीं। ट्रंप के अनुसार, रूस से कच्चा तेल आयात करने के कारण ही अमेरिका को भारत पर उच्च टैरिफ (25% से बढ़ाकर 50%) लगाना पड़ा था। ऐसे में भारत-रूस संबंधों की मजबूती अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की कूटनीतिक प्राथमिकताओं को भी प्रभावित कर सकती है।

2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा हो सकती है

अगर राष्ट्रपति पुतिन इस वर्ष भारत आते हैं, तो यह उनकी फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद की पहली भारत यात्रा होगी। इससे पहले उन्होंने दिसंबर 2021 में महज़ चार घंटे के लिए भारत की यात्रा की थी, जहां 28 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। इनमें रक्षा, विज्ञान और तकनीकी सहयोग शामिल था। उसी दौरान दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया था।

अब जब रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों की श्रृंखला जारी है, भारत और रूस ने व्यापारिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने की मंशा दिखाई है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच लगभग 60 अरब डॉलर का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार होता है, जिसे बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाने की दिशा में सहमति बनी है। इस प्रस्तावित दौरे के दौरान 2030 तक के लिए नए आर्थिक रोडमैप पर भी चर्चा होने की संभावना है।

मोदी-पुतिन कूटनीति ने बनाए रखे संबंधों के स्थायित्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024 में दो बार रूस की यात्रा की — एक बार BRICS समिट के लिए अक्टूबर में और दूसरी बार जुलाई में द्विपक्षीय वार्ता के लिए। अपनी पिछली यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का औपचारिक निमंत्रण दिया था। यह संबंधों में विश्वास और निरंतर संवाद का प्रतीक है, जो वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के बीच भारत की संतुलित विदेश नीति का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

ICC के अरेस्ट वारंट के बाद पुतिन की विदेश यात्राओं पर विराम

मार्च 2023 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ यूक्रेनी बच्चों के कथित अपहरण और जबरन निर्वासन के मामले में अरेस्ट वारंट जारी किया था। यह पहली बार था जब ICC ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के किसी स्थायी सदस्य देश के शीर्ष नेता को युद्ध अपराधों का दोषी माना। इसके बाद से पुतिन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों से दूरी बनाए हुए हैं, जिसमें 2023 का G20 शिखर सम्मेलन भी शामिल था। उस सम्मेलन में उनकी जगह रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल हुए थे।

भारत बना रूस से तेल खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में जबरदस्त इजाफा किया है। जहां युद्ध से पहले भारत केवल 0.2% तेल रूस से आयात करता था, वहीं अब यह आंकड़ा 17.8 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच चुका है। चीन के बाद भारत रूस से तेल खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। पिछले दो वर्षों में भारत ने रूस से हर वर्ष औसतन 130 अरब डॉलर से अधिक का तेल आयात किया है। अगर राष्ट्रपति पुतिन इस वर्ष भारत का दौरा करते हैं, तो यह न केवल भारत-रूस संबंधों के लिए अहम होगा, बल्कि वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है।

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