जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इंदौर के सरकारी एमवाय अस्पताल में हाल ही में दो नवजात बच्चों की मौत चूहों के काटने के कारण हुई। इस गंभीर घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने पेस्ट कंट्रोल एजाइल कंपनी को हटाने का निर्णय लिया है। अब इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग के लिए डॉ. महेश कछारिया को असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट के पद पर विशेष जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत अस्पताल के हर यूनिट के इंचार्ज डॉक्टरों को चूहों का सफाया करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
चूहों को पकड़ने के लिए अस्पताल में विशेष तरह की दवाइयां डाली जा रही हैं, जिनका असर तुरंत होता है। इसके साथ ही हर यूनिट में बड़े पिंजरे और रोडेंट ग्लू ट्रैप लगाए जा रहे हैं, जिनमें चूहे फंसकर मर जाते हैं। अस्पताल प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि इन उपकरणों की नियमित मॉनिटरिंग हो और प्रतिदिन रिपोर्टिंग की जाए कि कितने चूहे पकड़े गए और कितने मरे।
नवजातों की सुरक्षा को देखते हुए NICU और PICU पर विशेष फोकस रखा गया है। इन यूनिट्स में भर्ती बच्चों की स्थिति बेहद नाजुक होती है और अधिकतर वेंटिलेटर पर रहते हैं। इन छोटे शिशुओं के अंग कमजोर और संवेदनशील होते हैं, जिससे वे चूहों के हमले के सबसे अधिक शिकार बन सकते हैं। हाल ही में हुई घटनाओं में देखा गया कि चूहों ने एक नवजात की चारों उंगलियां तक कुतर दी थीं।
सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करते हुए अस्पताल में तीन-तीन गार्डों की ड्यूटी लगाई गई है। ये गार्ड दिन-रात प्रवेश करने वाले अटेंडर्स और बाहरी सामान की जांच कर रहे हैं ताकि किसी भी तरह का खाद्य पदार्थ या जूठन परिसर में न लाया जा सके। अस्पताल परिसर में मुख्य सीढ़ियों और छह लिफ्टों में चूहों पर नजर रखने के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। हर फ्लोर और यूनिट में पर्चे लगाए गए हैं ताकि स्टाफ को तुरंत जानकारी दी जा सके यदि कोई चूहा दिखाई दे।
घटना की जांच में यह सामने आया कि जिम्मेदार अधिकारियों ने शुरुआती समय में चूहों के हमले को मामूली बताया और नवजातों की मौत का कारण अन्य स्वास्थ्य कारण बताया। इसका खुलासा तब हुआ जब पीड़ित परिवार ने अपने गांव में शव की पैकिंग खोली और देखा कि नवजात की उंगलियां गायब हैं।
चूहों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों से पूरे परिसर में 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है। चूहों के फंसाने के लिए रोडेंट ग्लू ट्रैप और अन्य उपकरणों में अनाज और बिस्किट का लालच दिया जा रहा है। हालांकि, दिन में इनकी गतिविधि कम रहती है, लेकिन रात के समय चूहों की संख्या बढ़ जाती है।
हालांकि, इस मामले में जिम्मेदार पेस्ट कंट्रोल कंपनी पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। डीन द्वारा एजाइल कंपनी को हटाने के लिए भोपाल पत्र भेजा गया, लेकिन कंपनी पर केवल 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। वरिष्ठ अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन पर भी अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। मुख्य कंपनी HLL इंफ्राटेक सर्विसेज, जिसने एजाइल कंपनी को ठेका दिया था, उसे न तो ब्लैकलिस्ट किया गया और न ही एमओयू निरस्त किया गया। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में कंपनी को पहले ही 11 करोड़ रुपए भुगतान किए जा चुके हैं।
इस मामले में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंत्रालय, भोपाल में समीक्षा की और सभी जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। अस्पताल के सुपरिटेंडेंट और प्रमुख डॉक्टरों सहित कुछ नर्सिंग अधिकारियों को सस्पेंड किया गया और कुछ का ट्रांसफर किया गया।
एमवाय अस्पताल की इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य संस्थानों में सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल के मानक नियमों का पालन अत्यंत जरूरी है। नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए केवल पेस्ट कंट्रोल उपाय ही नहीं, बल्कि नियमित निगरानी, स्टाफ की जिम्मेदारी और प्रशासनिक कार्रवाई भी अनिवार्य है। इस मामले ने पूरे राज्य में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा और स्वच्छता व्यवस्था की समीक्षा की आवश्यकता को दोबारा रेखांकित किया है।