जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए माघ मास की संकष्टी चतुर्थी, जिसे सकट चौथ भी कहा जाता है, एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, खुशहाली और तरक्की के लिए पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ रखती हैं। इस साल सकट चौथ 17 जनवरी 2025 को है। आइए जानते हैं व्रत का महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त।
इस पवित्र दिन पर महिलाएं सुबह तिल के पानी से स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें हर शुभ कार्य से पहले पूजा जाता है। इस व्रत को तिलवा और तिलकुट चतुर्थी भी कहा जाता है। तिल के व्यंजन इस दिन विशेष रूप से बनाए और प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं। यह व्रत न केवल संतान की लंबी उम्र और सफलता के लिए है, बल्कि हर प्रकार के संकट को दूर करने का पर्व भी है।
सकट चौथ व्रत में सुबह पूजा के लिए दो महत्वपूर्ण मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21 बजे तक है, और दूसरा मुहूर्त 8:34 से 9:53 बजे तक है। इसके बाद शाम को महिलाएं प्रदोष काल में गणेश जी की पूजा करती हैं और व्रत कथा का पाठ करती हैं। इस दिन रात 9:09 बजे चंद्रमा निकलेगा। चंद्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय पूजा करने से भक्तों पर चंद्रमा की कृपा बरसती है और संतान की उम्र लंबी होती है।