जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश 17 सितम्बर से एक खास पहल का गवाह बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि इस दिन से प्रदेशभर में “सेवा पर्व” की शुरुआत होगी, जो 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक चलेगा। यह सिर्फ कोई कार्यक्रम नहीं होगा, बल्कि जनता को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं पहुँचाने का एक बड़ा अभियान होगा।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा—“नागरिकों की सेवा ही हमारा मूल धर्म है। सुशासन हमारा संकल्प है।” इसीलिए सेवा पर्व के जरिए सरकार जनहितकारी योजनाओं को धरातल तक ले जाएगी और सुनिश्चित करेगी कि हर नागरिक तक उनकी ज़रूरत के हिसाब से सेवाएं आसानी से पहुँचे।
सेवा पर्व की थीम – ‘स्वच्छोत्सव’
इस अभियान का केंद्रीय विषय है – “स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा”।
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17 से 24 सितम्बर तक पूरे प्रदेश में रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य शिविर लगेंगे।
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“एक पेड़ मां के नाम” और “मां की बगिया” जैसे अनोखे अभियानों के तहत पौधरोपण होगा।
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शहरों और गांवों में नमो पार्क, नमो उपवन, नमो बाग बनाए जाएंगे।
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27 सितम्बर को नमो मैराथन का आयोजन होगा।
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यानी स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी—all in one package।
सेवा पर्व के दौरान न सिर्फ जनसेवा से जुड़े कार्यक्रम होंगे, बल्कि विकास मेले, प्रदर्शनियां और विद्यार्थियों की प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन और कार्यों पर आधारित प्रदर्शनी भी इसमें खास आकर्षण होगी।
इसी बीच 22 सितम्बर को नवरात्रि और 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व भी सेवा पर्व के साथ जुड़ जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन त्योहारों को भी अभियान से जोड़ा जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग जुड़ें।
किसानों और युवाओं पर खास ध्यान
अभियान के दौरान किसानों को खाद वितरण और आपदा राहत की जानकारी दी जाएगी। साथ ही, युवाओं को रोजगार से जुड़ी योजनाओं से अवगत कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान में जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठन—सभी की भागीदारी होगी।
डॉ. मोहन यादव खुद भी इस दौरान जिलों का औचक निरीक्षण करेंगे। उन्होंने कहा—“मैं हेलीकॉप्टर से किसी भी जिले में उतरकर सीधे सेवा पर्व कार्यक्रम का हिस्सा बनूंगा।”
जनजातीय अंचलों में ‘आदि सेवा पर्व’
प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग गुलशन बामरा ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार जनजातीय बहुल गांवों में “आदि सेवा पर्व” मनाया जाएगा। इस दौरान गांव की ग्राम सभाओं में विकास योजनाओं पर चर्चा होगी और आदि सेवा केंद्र खोले जाएंगे, जो आगे चलकर जनसमस्या समाधान केंद्र की तरह काम करेंगे।
सेवा पर्व केवल एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि जनता और सरकार के बीच जुड़ाव का उत्सव है। स्वच्छता, स्वास्थ्य, विकास और जनभागीदारी को साथ लेकर चलने वाला यह पर्व प्रदेश को एक नई दिशा देगा। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर इसका समापन होगा, लेकिन इसका असर और संदेश लंबे समय तक लोगों के दिलों में गूंजेगा।