शराब प्रेमियों को झटका: MP में 1 अप्रैल से उज्जैन समेत 19 धार्मिक शहरों में 47 शराब दुकानें बंद, 24 जनवरी को नई आबकारी नीति को मंजूरी देने के बाद CM यादव ने की थी घोषणा

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति 1 अप्रैल से लागू हो रही है, जिससे राज्य में शराब प्रेमियों को बड़ा झटका लगने वाला है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में लागू की गई इस नीति के तहत उज्जैन, मैहर, ओंकारेश्वर सहित 19 पवित्र शहरों में 47 शराब की दुकानें पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी। सरकार ने इस फैसले को लेकर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। हालांकि, शराब की पूरी तरह से बिक्री बंद करने के बजाय सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत ‘लो अल्कोहलिक बेवरेज बार’ खोले जाएंगे। इन नए बार में केवल बीयर, वाइन और रेडी-टू-ड्रिंक अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के सेवन की अनुमति होगी, जबकि स्प्रिट या किसी भी प्रकार की कड़ी शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।

450 करोड़ के राजस्व नुकसान के बावजूद सरकार ने लिया बड़ा फैसला

गौरतलब है की मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 24 जनवरी को इस नई आबकारी नीति को मंजूरी देने के बाद राज्य में शराब की बिक्री को नियंत्रित करने की घोषणा की थी। सरकार को इस फैसले से सालाना 450 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। राज्य में कुल 460 से 470 शराब-सह-बीयर बार हैं, जिनमें से 47 दुकानों को 1 अप्रैल से बंद कर दिया जाएगा। इस वित्तीय वर्ष में अनुमानित 3600 शराब की दुकानें करीब 15,200 करोड़ रुपये का राजस्व राज्य सरकार को देंगी।

हालांकि, यह पूरी तरह से शराबबंदी कानून नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, बिहार और गुजरात में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है, लेकिन मध्य प्रदेश में केवल आबकारी अधिनियम प्रभावी है। इसका मतलब यह है कि इन 19 शहरों में शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी, लेकिन बाहर से शराब लाकर व्यक्तिगत रूप से पीने पर कोई प्रतिबंध या जुर्माना नहीं लगेगा। यदि सरकार इसे पूरी तरह से निषेध क्षेत्र घोषित करना चाहती है, तो बिहार निषेध अधिनियम, 2016 जैसा कानून बनाना आवश्यक होगा।

रेस्तरां और बड़े आयोजनों के लिए नई व्यवस्था

नई नीति के तहत रेस्तरां संचालकों को राहत दी गई है। रेस्तरां में शराब परोसने के लिए खुले क्षेत्र (ओपन एरिया) में फ्लोर एरिया बढ़ाने की अनुमति दी गई है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा, बड़े व्यावसायिक आयोजनों के लिए लाइसेंस शुल्क को आयोजन स्थल के आकार और दर्शकों की संख्या के अनुसार निर्धारित किया जाएगा। इससे आयोजकों को सुविधा मिलेगी और राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इसके अलावा नई आबकारी नीति के तहत शराब दुकानों के ठेकेदारों के लिए ई-बैंक गारंटी को अनिवार्य कर दिया गया है। 1 अप्रैल 2025 से सभी ठेकेदारों को यह गारंटी देनी होगी, जो कम से कम 30 अप्रैल 2026 तक वैध रहेगी। यह गारंटी साइबर ट्रेजरी के माध्यम से जमा की जाएगी और केवल अधिकृत बैंकों से ही मान्य होगी। इस नीति का उद्देश्य ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय करना और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

सरकार के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बनाए रखना और शराब के दुष्प्रभावों को कम करना है। कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे धार्मिक पर्यटन स्थलों का वातावरण अधिक आध्यात्मिक बनेगा और वहां का माहौल अधिक अनुशासित रहेगा। हालांकि, सरकार के इस कदम से होटल और बार मालिकों को नुकसान हो सकता है, खासकर वे व्यवसाय जो पर्यटन पर निर्भर हैं। सरकार का कहना है कि बीयर और वाइन बार की अनुमति देकर संतुलन बनाए रखा गया है, ताकि व्यवसाय प्रभावित न हों। इसके बावजूद, नई नीति के दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन आने वाले समय में ही किया जा सकेगा।

इन 19 धार्मिक शहरों में शराब की दुकानें होंगी बंद

नई नीति के तहत राज्य के प्रमुख धार्मिक और पवित्र स्थलों को शराब मुक्त करने का निर्णय लिया गया है। इन शहरों में सभी प्रकार की शराब की दुकानें पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी। ये शहर हैं:

  1. उज्जैन नगर निगम

  2. ओंकारेश्वर नगर पंचायत

  3. महेश्वर नगर पंचायत

  4. मंडलेश्वर नगर पंचायत

  5. ओरछा नगर पंचायत

  6. मैहर नगर पालिका

  7. चित्रकूट नगर पंचायत

  8. दतिया नगर पालिका

  9. पन्ना नगर पालिका

  10. मंडला नगर पालिका

  11. मुलताई नगर पालिका

  12. मंदसौर नगर पालिका

  13. अमरकंटक नगर पंचायत

  14. सलकनपुर ग्राम पंचायत

  15. बरमान कला ग्राम पंचायत

  16. लिंगा ग्राम पंचायत

  17. बरमान खुर्द ग्राम पंचायत

  18. कुंडलपुर ग्राम पंचायत

  19. बांदकपुर ग्राम पंचायत

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