जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने हैं, उन्होंने उत्तर प्रदेश और केरल के छात्रों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। इस कार्यक्रम में यूपी के 150 बच्चों के साथ केरल के कोझिकोड जिले के छात्र भी शामिल हुए। बातचीत के दौरान छात्रों ने अंतरिक्ष में जीवन से जुड़े कई रोचक और वैज्ञानिक सवाल पूछे, जिनका शुभांशु शुक्ला ने बड़े सहज और सरल शब्दों में विस्तार से जवाब दिया।
इस संवाद में सबसे दिलचस्प पल तब आया, जब शुभांशु ने जीरो ग्रैविटी में तैरते हुए गेंद से खेलकर छात्रों को दिखाया कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी से चीजें कैसे तैरने लगती हैं। एक छात्र ने पूछा कि वह अंतरिक्ष में कैसे सोते हैं, तो शुभांशु ने बताया कि वहां फर्श या छत जैसी कोई चीज नहीं होती, इसलिए कोई दीवार पर सोता है तो कोई छत पर। सोने के समय खुद को बांधना पड़ता है ताकि वह नींद में तैरकर कहीं और न चले जाएं।
छात्रों ने जब यह सवाल किया कि वे अंतरिक्ष में खुद को कैसे फिट रखते हैं, तो शुभांशु ने बताया कि माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों का क्षय होने लगता है, इसलिए उन्हें रोजाना एक्सरसाइज करनी होती है। उन्होंने बताया कि वहां एक खास तरह की साइकिल होती है जिसमें सीट नहीं होती, बस पैडल होते हैं, जिनसे खुद को बांधकर एक्सरसाइज करनी पड़ती है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पर शुभांशु ने कहा कि वे परिवार और दोस्तों से तकनीक की मदद से जुड़े रहते हैं ताकि मनोबल बना रहे। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिक्ष से धरती बेहद खूबसूरत दिखाई देती है, जिसे निहारने में उन्हें बहुत सुकून मिलता है।
खानपान की चर्चा पर शुभांशु ने बताया कि वे पैकेज्ड मील खाते हैं, साथ ही अपने साथ लाए गाजर का हलवा, मूंग दाल हलवा और आम रस भी मजे से खाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने साथ एक पूरी मेडिकल किट लेकर आए हैं जिसमें सभी जरूरी दवाएं हैं।
लखनऊ के एक छात्र ने बातचीत के अनुभव साझा करते हुए कहा कि “हमें शुक्ला सर से बातचीत कर भविष्य की संभावनाओं की झलक मिली।” वहीं कार्यक्रम में शामिल छात्रों ने इसे बेहद प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक बताया। इस कार्यक्रम के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग को केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से विशेष पत्र मिला था, जिसके तहत लखनऊ, रायबरेली, हरदोई और सीतापुर के कुल 34 स्कूलों के छात्र इसमें शामिल हुए। इससे पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने छात्रों को स्पेस और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी कई रोचक जानकारियां भी दीं और गगनयान मिशन के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंगद प्रताप सिंह से भी छात्रों ने संवाद किया।
यह गौर करने वाली बात है कि शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। शुभांशु इस समय एक्सियम मिशन-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर हैं और उनका यह अनुभव भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में बेहद काम आएगा। गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, जो 2027 तक भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजकर सुरक्षित वापस लाएगा।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है, इस पर भी शुभांशु ने बताया कि यह पृथ्वी के चारों ओर 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगाने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस स्टेशन को दुनिया की पांच स्पेस एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। यहां एस्ट्रोनॉट माइक्रोग्रैविटी में रहकर तमाम तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं, जो धरती के जीवन और भविष्य की तकनीकों के लिए बेहद अहम होते हैं।