जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
पुरी, ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा इस बार फिर दर्दनाक हादसे की गवाह बन गई। रविवार तड़के करीब 4 बजे गुंडिचा मंदिर के सामने उस समय भगदड़ मच गई जब लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन करने उमड़ पड़े। इस हादसे में अब तक 3 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इनमें से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के रूप में हुई है। इनके शव पुरी मेडिकल कॉलेज में रखे गए हैं।
हादसे के वक्त हालात इतने बिगड़ गए कि कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और कुचल गए। बताया जा रहा है कि घटना के समय वहां पर्याप्त पुलिस बल और बैरिकेडिंग नहीं थी, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। हादसा भगवान जगन्नाथ के रथ के गुंडिचा मंदिर पहुँचने पर हुआ। बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले ही पहुँच चुके थे, ऐसे में भगवान जगन्नाथ के रथ के दर्शन की होड़ मच गई। भीड़ अचानक आगे बढ़ी और इसी दौरान भगदड़ मच गई।
घटना के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने संवेदनाएँ प्रकट कीं और सोशल मीडिया ‘X’ पर पोस्ट कर कहा, “मैं और मेरी सरकार भगवान जगन्नाथ के सभी भक्तों से व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगते हैं। यह लापरवाही माफ करने लायक नहीं है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा में चूक की तत्काल जांच के आदेश दे दिए गए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराईं जाएं।
गौरतलब है कि पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को हर साल उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा नौ दिनों तक चलती है। शुक्रवार को इस वर्ष की रथयात्रा शुरू हुई थी और रविवार को तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुँचे। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है। इस बार बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले पहुँच गए थे, जबकि जगन्नाथ जी का रथ थोड़ी देर से पहुँचा। इसी वजह से हजारों भक्तों में रथ को पास से देखने की होड़ लग गई।
इससे पहले शुक्रवार को भीड़ के अत्यधिक दबाव के कारण 625 से अधिक श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी। इनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि 9 की हालत गंभीर रही।
पुरी रथयात्रा में भगदड़ की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। वर्ष 2024 में जब रथयात्रा का आयोजन 7-8 जुलाई को हुआ था, तब पहले ही दिन भीड़ के दबाव और घबराहट में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इससे पहले 2008 में भी इसी रथयात्रा में 6 श्रद्धालुओं की मौत और 12 से ज्यादा लोगों के घायल होने की दुखद घटना घट चुकी है।