जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2025 की अपनी पहली कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए। यह बैठक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया गया।
साल 2025 की पहली कैबिनेट बैठक में विशेष रूप से युवाओं को रोजगार देने और किसानों की आय दोगुनी करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य सरकार 12 जनवरी से ‘स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन’ की शुरुआत करने जा रही है। इस मिशन का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को नई दिशा और रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसके तहत युवा शक्ति को कौशल विकास के साथ-साथ उनके रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि की जाएगी। कैबिनेट ने तीन जिलों – मैहर, पांढुर्ण और मऊगंज – में ई-गवर्नेंस को मंजूरी दी है। इसके तहत 15 नए पदों को मंजूरी दी गई है, जिससे सरकारी सेवाओं में सुधार आएगा और लोगों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
इसके साथ ही, दूध उत्पादन बढ़ाने और सांची ब्रांड को देशभर में पहचान दिलाने के लिए भी बड़े कदम उठाने का निर्णय लिया गया। सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रोफेशनल लोगों को जोड़ने की योजना बना रही है, ताकि सांची को राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान मिले।
वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बैठक में सभी मंत्रियों से कहा कि अगले पांच साल के लिए 16वें वित्त आयोग से ज्यादा से ज्यादा सालाना फंड मांगने के लिए विभागवार प्रस्ताव तैयार करें। इससे राज्य सरकार केंद्र से अधिक फंड हासिल कर सकेगी। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया जल्द ही एमपी आ रहे हैं, उनके साथ चर्चा करके प्रस्ताव पेश किए जाएंगे।
इसके अलावा बैठक में फैसला लिया गया कि उज्जैन में महाकाल लोक और तपोभूमि में दो नए थाने खोले जाएंगे। कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दे दी है और 150 पदों की मंजूरी भी दी है, जिसमें 2 इंस्पेक्टर, 16 उपनिरीक्षक, 20 सहायक उपनिरीक्षक, 26 हेड कांस्टेबल, 80 कांस्टेबल, 2 प्रधान आरक्षक चालक और 4 आरक्षक चालक शामिल हैं।
विजयवर्गीय ने कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उनके लिए जरूरी योजनाओं को और मजबूत किया जाएगा। इसके लिए एक समग्र योजना बनाई जाएगी और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और एमपी स्टेट कोआपरेटिव फेडरेशन के साथ मिलकर काम शुरू किया जाएगा।
विजयवर्गीय ने कहा कि मध्य प्रदेश में 53 हजार गांव हैं और हर गांव में दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। दूध का उत्पादन ‘समेकित व्यवस्था’ के माध्यम से बढ़ाने की योजना है। अगले पांच साल में 1500 करोड़ का निवेश करने का विचार है। समितियों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार करने का भी प्लान है। फिलहाल दूध संकलन 10 लाख लीटर है, जिसे 20 लाख लीटर करने का लक्ष्य है। वार्षिक आय को 1700 करोड़ से बढ़ाकर 3500 करोड़ करने का भी लक्ष्य है।