रंगमंच के दिग्गज आलोक चटर्जी का निधन, 64 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा; कला जगत में शोक की लहर

You are currently viewing रंगमंच के दिग्गज आलोक चटर्जी का निधन, 64 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा; कला जगत में शोक की लहर

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

रंगमंच की दुनिया के दिग्गज अभिनेता आलोक चटर्जी का 64 साल की उम्र में निधन हो गया। मंगलवार तड़के उन्होंने आखिरी सांस ली, और दुनिया को अलविदा कह दिया। आलोक चटर्जी लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे, और सोमवार रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद, उनका शरीर इन्फेक्शन के कारण काम करना बंद कर चुका था, और उन्होंने रात करीब 3 बजे अंतिम सांस ली।

सिग्मा उपाध्याय ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी है। जानकारी के अनुसार वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनके शरीर में इन्फेक्शन फैल गया था। इसके अलावा उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिसकी वजह से उनका निधन हो गया। वहीं, उनके निधन की पुष्टि भोपाल के रंगकर्मी बालेंद्र बालू ने भी की है। उन्होंने कहा, “कल रात करीब 11-12 बजे उनका निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे और कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका गॉलब्लैडर भी निकालना पड़ा था और किडनी और पैंक्रियाज में भी समस्याएं थीं। कल उनकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें बंसल हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती किया गया। बीती रात उन्होंने आखिरी सांस ली।”

आलोक चटर्जी की दोस्ती हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता इरफान खान से भी गहरी थी। आलोक चटर्जी और इरफान खान का रिश्ता सिर्फ बैचमेट का नहीं था, बल्कि दोस्ती और कला का भी था। दोनों ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में 1984 से 1987 तक एक साथ पढ़ाई की और कई नाटकों में अभिनय किया। इरफान खान के निधन के बाद, आलोक चटर्जी की विदाई रंगमंच की दुनिया में एक और दुखद पल बन गई है।

आलोक चटर्जी का योगदान रंगमंच और सिनेमा की दुनिया में हमेशा याद रखा जाएगा। वे मध्यप्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा (MPSD) के पूर्व निदेशक और एनएसडी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे थे। उनके द्वारा निर्देशित और अभिनीत नाटक आज भी थिएटर प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं। ‘महारानी’, ‘हसीन दिलरुबा’ जैसी वेब सीरीज और ‘पटना शुक्ला’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को दर्शकों ने बहुत सराहा।

साल 2019 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया था, जो उनकी कला की सच्ची पहचान थी।

Leave a Reply