मध्यप्रदेश में जैविक खेती के विस्तार पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया कार्यशाला का शुभारंभ; CM ने किसानों को किया प्रेरित

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 21 फरवरी, शुक्रवार को भोपाल के राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण संस्थान बरखेड़ीकला में ‘मध्यप्रदेश में जैविक खेती पद्धतियां एवं मूल्य संवर्धन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “जैविक खेती, किसानों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का नव आधार… आज बरखेड़ीकला, भोपाल में ‘मध्यप्रदेश में जैविक खेती: पद्धतियों एवं मूल्य श्रृंखला’ पर आयोजित कार्यशाला में सहभागिता कर विचार साझा किए। मेरा सभी किसान भाइयों से आग्रह है कि जैविक खेती केवल उत्पादन की एक विधि नहीं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों की शुद्धता और मानव स्वास्थ्य की रक्षा का एक सशक्त माध्यम है। प्रदेश सरकार भी जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। जब किसान जैविक पद्धतियों को अपनाते हैं, तो वे न केवल अपनी आजीविका को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संतुलित और पोषित पर्यावरण की आधारशिला भी रखते हैं। मेरे किसान भाइयों-बहनों, आप भी जैविक खेती को बढ़ावा दें, उत्पादन में वृद्धि के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपना योगदान दें।”

दरअसल, आजकल खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, जिससे जमीन और वातावरण में हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ रही है। इसका असर पर्यावरण, मिट्टी की उर्वरता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसलिए, जैविक खेती को बढ़ावा देने और पर्यावरण और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

जानकारी के लिए बता दें, प्रदेश में 11 एग्रो क्लाइमेटिक जोन हैं, जहां अलग-अलग फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। पर्यावरण की सुरक्षा, मृदा की सेहत, स्वस्थ खाद्य उत्पाद और बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए, प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए कई संभावनाएं मौजूद हैं। ऐसे में विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर एक ठोस कार्ययोजना और नीति बनाना, और एक साझा संस्थागत प्लेटफार्म तैयार करना, प्रदेश में प्राकृतिक और जैविक खेती के विकास के लिए फायदेमंद होगा।

भोपाल में आयोजित दो दिवसीय इस कार्यशाला में जैविक कपास, फल, सब्जियों और अन्य फसलों के लिए जैविक खेती की तकनीक और उत्पादों की मूल्य श्रृंखला पर गहरी चर्चा होगी। इसके साथ ही प्रदेश के विकास के लिए एक ठोस रणनीति भी बनाई जाएगी। इस कार्यशाला में केंद्र सरकार के उच्च अधिकारी, वैज्ञानिक, संबंधित विभागों के वरिष्ठ लोग, एफ.पी.ओ. और जैविक खेती से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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