सीएम हेल्पलाइन शिकायतकर्ताओं की ‘ब्लैकमेलर लिस्ट’ पर बवाल: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार बोले– यह लोकतंत्र और जनता की आवाज़ पर हमला, कहा – गलत जवाब देने वाले अफसरों की सूची बनाए सरकार!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सीएम हेल्पलाइन और अन्य सरकारी पोर्टल पर झूठी या आदतन शिकायत करने वाले लोगों तथा ब्लैकमेलर्स की सूची तैयार करने के राज्य सरकार के हालिया आदेश पर कड़ा विरोध जताया है। सिंघार ने इसे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर हमला करार दिया और मुख्यमंत्री से तुरंत इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।

सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार शिकायतकर्ताओं को डराने के लिए “ब्लैकमेलर” की सूची बनाने का नया तरीका अपना रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह का कदम जनता की आवाज दबाने जैसा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ताओं की “कुंडली” बनाने की बजाय उन अधिकारियों की सूची तैयार करनी चाहिए जिन्होंने शिकायतों को गलत जवाब देकर या दबाव में फोर्स क्लोज करवा दिया।

शिकायतों को दबाने की आलोचना

नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा में कहा कि पूरे प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज हजारों शिकायतें अधिकारी बिना समाधान किए बंद कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार अधिकारी-पदाधिकारी पैसों और दबाव के कारण शिकायतों पर गलत जवाब दर्ज कर फाइल बंद कर देते हैं। ऐसे में शिकायतकर्ताओं को “ब्लैकमेलर” घोषित करना न केवल गलत है बल्कि यह एक डराने-धमकाने का तरीका है।

सिंघार ने कहा, “लोकतंत्र में अगर नागरिक अपनी समस्या सरकार को नहीं बताएगा तो किससे कहेगा? यह कदम शिकायत करने वालों को डराने के अलावा और कुछ नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह शिकायतों के सही समाधान पर ध्यान दे, न कि शिकायतकर्ताओं की सूची बनाकर उनकी छवि खराब करे।”

RTI एक्टिविस्ट का विरोध

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भी इस आदेश की निंदा की। उन्होंने कहा कि शिकायत करना लोकतंत्र का अधिकार है और यदि कोई गलत करता है तो उसका समाधान कानून के जरिए होना चाहिए। बड़े पैमाने पर शिकायतकर्ताओं की सूची बनाना आम नागरिकों में भय पैदा करेगा और लोग शिकायत करने से डरेंगे। दुबे ने कहा, “अगर अधिकारी किसी मामले में गलत पाते हैं तो पुलिस में शिकायत करें, न कि जनता को डराकर रोकें।”

लोक सेवा प्रबंधन विभाग ने 25 सितंबर को एक आदेश जारी कर सभी कलेक्टरों से कहा था कि वे झूठी और आदतन शिकायत करने वाले तथा ब्लैकमेलर्स की सूची मोबाइल नंबर सहित एक तय फॉर्मेट में तैयार कर सरकार को भेजें। आदेश के मुताबिक इसका उद्देश्य ऐसे शिकायतकर्ताओं पर कार्रवाई करना है, लेकिन विपक्ष और नागरिक समाज इसे लोकतंत्र और जन अधिकारों पर खतरे के रूप में देख रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष की मांग

उमंग सिंघार ने विधानसभा में स्पष्ट कहा कि यह आदेश तत्काल वापस लिया जाए। उनका कहना है कि सरकार का काम जनता की समस्याओं का समाधान करना है न कि उन्हें डराकर चुप कराना। उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने शिकायतों को गलत तरीके से बंद किया है, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, बजाय शिकायतकर्ताओं को निशाना बनाने के।

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