वक्फ संशोधन बिल: लोकसभा में 2 अप्रैल को होगा पेश, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे चर्चा का समय किया निर्धारित; विपक्ष बोला- 12 घंटे हो चर्चा का समय

You are currently viewing वक्फ संशोधन बिल: लोकसभा में 2 अप्रैल को होगा पेश, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे चर्चा का समय किया निर्धारित; विपक्ष बोला- 12 घंटे हो चर्चा का समय

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

वक्फ संशोधन बिल 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश होगा, और इसके लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे चर्चा का समय निर्धारित किया है। हालांकि, विपक्ष ने इस पर 12 घंटे चर्चा की मांग की है। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों में तीव्र प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। समाजवादी पार्टी (SP) के सुप्रीमो और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि उनका दल इस बिल का विरोध करेगा, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे समय की आवश्यकता बताया है, और उनका कहना है कि वक्फ में सुधार करना अनिवार्य हो चुका है।

वक्फ संशोधन बिल पर मंगलवार को भी लोकसभा में हंगामा हुआ। प्रश्नकाल खत्म होते ही विपक्ष ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की। इसके बाद कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड पर सवाल उठाए और कहा कि वक्फ ने मुसलमानों का क्या कल्याण किया है? उन्होंने कहा कि वक्फ अब निजी स्वार्थ का केंद्र बन चुका है और यह सरकारी संपत्ति पर जबरन कब्जा करने का माध्यम बन गया है।

बता दें, लोकसभा में कुल 542 सांसद हैं, जिनमें से 240 सदस्य बीजेपी के हैं। एनडीए के कुल सांसदों की संख्या 293 है, और इस बिल को पास करने के लिए 272 वोटों की आवश्यकता होगी। विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं और विपक्ष की कुल संख्या 233 है, जबकि शिरोमणि अकाली दल और आजाद पार्टी के पास एक-एक सांसद है। कुछ निर्दलीय सांसद भी हैं जिनका रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।

राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, जिनमें से बीजेपी के पास 98 सांसद हैं और एनडीए गठबंधन के पास 115 सांसद हैं। इसके अलावा, 6 मनोनीत सांसद हैं जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में रहते हैं, जिससे एनडीए की संख्या 121 तक पहुंच जाती है। राज्यसभा में इस बिल को पास करने के लिए 119 वोटों का समर्थन आवश्यक है।

बता दें, इससे पहले 27 मार्च को लोकसभा में इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 को पास कर दिया गया। इस बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल से बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। इसके बाद 26 मार्च को विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें लोकसभा में बोलने का मौका नहीं दिया जाता और संसद को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं मिलता और संसद केवल सरकार के लिए चल रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष के 70 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और अपनी नाराजगी जताई।

क्या है वक्फ संशोधन बिल ?

वक्फ एक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दी गई स्थायी संपत्ति है, जिसका प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत किया जाता है। भारत में 37.39 लाख एकड़ क्षेत्र में फैली 8.72 लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 1,088 संपत्तियों ने वक्फ दस्तावेज पंजीकृत किए हैं, जबकि 9,279 अन्य संपत्तियों के पास स्वामित्व अधिकार का कोई दस्तावेज नहीं है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने वक्फ दस्तावेज को अनिवार्य कर दिया है, और सभी संपत्तियों के विवरण को छह महीने के भीतर एक पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, अब वक्फ के रूप में घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, और कलेक्टर के स्तर से ऊपर का अधिकारी यह जांचेगा कि संपत्ति सरकारी है या वक्फ। इससे स्वामित्व पर स्पष्टता प्राप्त होगी और अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचा जा सकेगा।

वक्फ बोर्ड की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए भी कई बदलाव किए गए हैं। अब वक्फ संपत्ति को दान करने के लिए केवल वे व्यक्ति सक्षम होंगे, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करते हैं और कानूनी रूप से संपत्ति के मालिक होते हैं। वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति देने वाली धारा 40 को समाप्त कर दिया गया है, ताकि बोर्ड की शक्तियों का दुरुपयोग न हो। इसके अतिरिक्त, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले अब अंतिम नहीं होंगे, और 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील दायर की जा सकेगी।

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में समावेशिता बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को शामिल किया जाएगा, साथ ही बोहरा और अघाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य भी होंगे। पिछड़े वर्गों से संबंधित मुस्लिमों को भी बोर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा, जिसमें दो गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल होंगे। इसके अलावा, राज्य सरकारें बोहरा और अघाखानी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड भी स्थापित कर सकती हैं।

सबसे महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक यह है कि पंजीकृत मस्जिदों और कब्रिस्तानों को संरक्षण दिया जाएगा। अतीत में कुछ वक्फ संपत्तियां बिना दस्तावेज के भी धार्मिक उद्देश्यों के लिए वक्फ बन गई थीं, लेकिन अब यह प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। फिर भी, इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में पंजीकृत मस्जिदों और कब्रिस्तानों को वक्फ बोर्ड द्वारा संरक्षण मिलेगा, जब तक वे विवादित या सरकारी संपत्ति के रूप में वर्गीकृत न हों।

Leave a Reply