जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से दर्जनों बच्चों की मौत के मामले ने अब राजनीतिक हलकों में नया बवाल खड़ा कर दिया है। इस बीच मध्य प्रदेश और राजस्थान के नेता प्रतिपक्षों ने दिल्ली में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश सरकार पर तीखे आरोप लगाए और न्यायिक जांच की मांग की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि परासिया में 15 बच्चों की मौत के बाद भी राज्य सरकार गंभीर नहीं हुई। उन्होंने कहा, “हमारे विधायक सोहन बाल्मीकि ने मामले की गंभीरता को लेकर कलेक्टर, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजे, धरना प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार ने कान नहीं दिया। यह मामला केवल स्वास्थ्य प्रणाली की विफलता नहीं, बल्कि करप्शन और कमीशन का भी है।”
सोहन लाल बाल्मीकि का तीखा बयान
परासिया से विधायक सोहन लाल बाल्मीकि ने कहा कि “मध्य प्रदेश सरकार छोटे-मोटे मामलों में लोगों के घरों को बुलडोजर से गिरा देती है, लेकिन बच्चों की हत्या के जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। क्या अब उनके घर पर बुलडोजर चलेगा?” उन्होंने मुख्यमंत्री पर बच्चों के परिवारों से मिलने के बाद राहत नहीं देने का आरोप लगाया और इसे सरकार की बड़ी विफलता बताया।
72 घंटे में जांच नहीं — सवाल खड़े
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बताया कि नियम के अनुसार ऐसे मामले में 72 घंटे के अंदर जांच होनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने देरी की। “जब मामला उग्र हुआ तो एक परिवार की मृत बच्ची योगिता ठाकरे का शव कब्र से निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया गया। इस बीच मुख्यमंत्री काजीरंगा पार्क में हाथी देखने गए थे — क्या यह संवेदनशीलता है?” सिंघार ने सवाल उठाया।
सिंघार ने कहा कि चार दिन पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री यह कह चुके थे कि कफ सिरप से मौतें नहीं हो रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि रीवा जिले में इस सिरप का सबसे बड़ा अड्डा कैसे बन गया और सरकार ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। “उप मुख्यमंत्री जी, तमिलनाडु की कंपनी के आपके साथ क्या संबंध हैं? आपने उनके पक्ष में बयान क्यों दिया? इस पर मुख्यमंत्री चुप क्यों हैं?” उन्होंने सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार की ओर से 4 लाख रुपये की मदद देने का प्रस्ताव नाकाफी है। “क्या एक मां की कोख उजाड़ने की कीमत सिर्फ चार लाख है? गरीब परिवारों ने अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए लाखों रुपए खर्च किए, जमीन-मकान और जेवर गिरवी रखे। हमारी मांग है कि सरकार इलाज में खर्च हुए सभी पैसे का बिल चुकाए और मृत बच्चों के परिवार को रोजगार देने की व्यवस्था करे।”
राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष का समर्थन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार पर कड़ी निंदा की और न्यायिक जांच की मांग को समर्थन दिया।
इस मामले ने न केवल प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणाली की सच्चाई को भी उजागर किया है। विपक्ष की मांग है कि यह मामला न्यायिक जांच के तहत आए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।