मध्यप्रदेश की 4 नई धरोहरें यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में दर्ज, मुख्यमंत्री डॉ. यादव बोले – हर्ष और गौरव का विषय; अब कुल 18 धरोहरें यूनेस्को सूची में शामिल

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की पावन धरा, जहां सभ्यता और संस्कृति की अनुगूंज हर कण में बसती है, एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हर्ष और गर्व के साथ घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिल रही है। यूनेस्को ने प्रदेश की चार ऐतिहासिक धरोहरों को सीरियल नॉमिनेशन के तहत टेंटेटिव लिस्ट में शामिल कर, मध्यप्रदेश की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के महत्व को प्रमाणित किया है।

मौर्य कालीन अशोक के शिलालेख

मौर्य कालीन अशोक के शिलालेख स्थल भारत के प्राचीनतम लिखित अभिलेख हैं। इन शिला और स्तंभ लेखों में सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म, शासन और नैतिकता से संबंधित संदेश अंकित हैं, जो 2,200 से अधिक वर्षों से संरक्षित हैं। मध्य प्रदेश में पर्यटक साँची स्तंभ अभिलेख, जबलपुर में रूपनाथ लघु शिलालेख, दतिया में गुज्जरा लघु शिलालेख और सीहोर में पानगुरारिया लघु शिलालेख को शामिल किया गया हैं।

चौंसठ योगिनी मंदिर – तांत्रिक परंपराओं का अद्भुत केंद्र

प्रदेश में 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच निर्मित चौंसठ योगिनी मंदिर तांत्रिक परंपराओं का प्रतीक हैं। इन मंदिरों की गोलाकार, खुले आकाश के नीचे बनी संरचनाएँ, जटिल शिल्पकला और आध्यात्मिक महत्व अद्वितीय हैं। इसमें खजुराहो, मितावली (मुरैना), जबलपुर, बदोह (जबलपुर), हिंगलाजगढ़ (मंदसौर), शहडोल और नरेसर (मुरैना) के चौसठ योगिनी मंदिर को शामिल किया गया है।

गुप्तकालीन मंदिर – भारतीय वास्तुकला का स्वर्ण युग

प्रदेश में सांची, उदयगिरि (विदिशा), नचना (पन्ना), तिगवा (कटनी), भूमरा (सतना), सकोर (दमोह), देवरी (सागर) और पवाया (ग्वालियर) में स्थित गुप्तकालीन मंदिर को यूनेस्को द्वारा शामिल किया गया है। गुप्तकालीन मंदिर भारतीय मंदिर वास्तुकला में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाते हैं। मंदिर उत्कृष्ट नक्काशी, शिखर शैली और कलात्मक सौंदर्य को प्रदर्शित करते हैं।

बुंदेला शासकों के महल और किले – वीरता और कला का संगम

बुंदेला काल के गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहाँगीर महल, दतिया महल और धुबेला महल, राजपूत और मुगल स्थापत्य कला के बेहतरीन संगम को दर्शाते हैं। ये महल बुंदेला शिल्पकला, सैन्य कुशलता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की अद्भुत मिसाल हैं।

सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला शासकों के महल और किलों का यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में होना यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश में एक अद्वितीय स्थान रखता है।

यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में मध्यप्रदेश की धरोहरें

यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल इन धरोहरों के साथ, अब मध्यप्रदेश की कुल 18 धरोहरें यूनेस्को की सूची में दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें से 3 विश्व धरोहर स्थायी रूप से और 15 टेंटेटिव लिस्ट में शामिल हैं। यह उपलब्धि हमारे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन समृद्धि को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

मध्यप्रदेश को विश्व पर्यटन मानचित्र पर नई ऊंचाइयां

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमपी टूरिज्म बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास प्रेमियों और प्रदेशवासियों को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी अपनी धरोहरों के संरक्षण का संकल्प लें और मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक गरिमा को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाएं।

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